संस्कृत दिवस पर भाषण। संस्कृत सप्ताह पर भाषण। Sanskrit diwas par bhashan

“सरल भाषा संस्कृतं सरस भाषा संस्कृतम् ।
सरस-सरल-मनोज्ञ-मङ्गल देवभाषा संस्कृतम् ॥”

     नमो नमः! आप सभी को संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं में सबसे प्रमुख, सबसे मधुर और सबसे सरल भाषा है। संस्कृत भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। तथ्यों और तर्कों के आधार पर संस्कृत भाषा सबसे पुरातन भाषा मानी जाती है। यह मात्र भारत की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की सबसे पुरानी भाषा है। 

 संस्कृत को देव भाषा माना जाता है। यह कई भाषाओं की जननी है। संस्कृत हमारी भारतीय संस्कृति का आधार है। संस्कृत सबसे अधिक वैज्ञानिक भाषा है क्योंकि यह जैसी लिखी जाती है वैसी ही पढ़ी जाती है। संस्कृत से ही भारतीय संस्कृति है, संस्कृत से ही संस्कार हैं। संस्कृत भाषा ही भारतीय अध्यात्म का आधार है। 

    किंतु आज हम भारतीयों ने संस्कृत और हिंदी जैसी भाषाओं को ऐसे स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है कि आज उनके प्रचार प्रसार की आवश्यकता पड़ रही है। नई शिक्षा पद्धति में भी संस्कृति को एक विकल्प के तौर पर रखा गया है जबकि इसे अनिवार्य किया जाना बहुत आवश्यक है। आज हमने संस्कृत भाषा को मात्र एक मंत्र उच्चारण की भाषा बनाकर रख दिया है। यह बहुत ही शर्म की बात है कि हम भारतीयों ने ही अपनी प्राचीन भाषा संस्कृत को महत्व नहीं दिया। 

   हम भारतीय आज अपने बच्चों को अंग्रेजी और फ्रेंच जैसी भाषाएं सिखाने में गर्व महसूस करते हैं और हिंदी , संस्कृत बोलने में हमें शर्म महसूस होती है। हम भारतवासी अगर अपनी भाषा का सम्मान नहीं करेंगे तो भला विश्व से क्या उम्मीद की जा सकती है। हमें अपनी भारतीय संस्कृति की अगर रक्षा करनी है तो संस्कृत, हिंदी जैसी भाषाओं को गौरव के साथ अपनाना ही होगा।  

जयतु संस्कृतम्! वदतु संस्कृतम्!

संस्कृत दिवस पर भाषण संस्कृत में। Sanskrit diwas speech in sanskrit

“सरल भाषा संस्कृतं सरस भाषा संस्कृतम् ।
सरस-सरल-मनोज्ञ-मङ्गल देवभाषा संस्कृतम् ॥”

नमो नमः ! संस्कृतदिने सर्वेभ्यः शुभकामना! विश्वस्य सर्वासु भाषासु संस्कृतभाषा प्रमुखा, सुरीला, सरलतमा च भाषा अस्ति । संस्कृतभाषायाः इतिहासः अतीव पुरातनः अस्ति । तथ्यतर्कानाम् आधारेण संस्कृतभाषा प्राचीनतमा भाषा इति मन्यते । न केवलं भारतस्य अपितु सम्पूर्णस्य विश्वस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति ।

संस्कृतं ईश्वरस्य भाषा इति मन्यते । अनेकानां भाषाणां जननी अस्ति । अस्माकं भारतीयसंस्कृतेः आधारः संस्कृतम् अस्ति। संस्कृतं यथा लिखितं तथा पठ्यते इति कारणतः वैज्ञानिकतमभाषा । भारतीयसंस्कृतिः संस्कृततः, मूल्यानि केवलं संस्कृततः एव। संस्कृतभाषा भारतीयाध्यात्मस्य आधारः अस्ति।

परन्तु अद्यत्वे वयं भारतीयाः संस्कृत-हिन्दी-आदीनां भाषाः एतादृशं स्तरं नीतवन्तः यत् तेषां प्रचारस्य आवश्यकता वर्तते। नूतने शिक्षाव्यवस्थायां अपि संस्कृतिः विकल्परूपेण स्थापिता अस्ति यदा तु अनिवार्यं कर्तुं अतीव महत्त्वपूर्णम् अस्ति। अद्य वयं संस्कृतभाषा केवलं मन्त्रपाठभाषारूपेण न्यूनीकृतवन्तः। अतीव लज्जाजनकं यत् वयं भारतीयाः अस्माकं प्राचीनभाषायाः संस्कृतस्य महत्त्वं न दत्तवन्तः।

अद्यत्वे वयं भारतीयाः स्वसन्ततिभ्यः आङ्ग्ल-फ्रेञ्च-आदीनां भाषाणां शिक्षणं कृत्वा गौरवं अनुभवामः, हिन्दी-संस्कृतं च वक्तुं लज्जां अनुभवामः | यदि वयं भारतीयाः स्वभाषायाः आदरं न कुर्मः तर्हि जगतः किं अपेक्षितुं शक्नुमः। यदि वयं स्वभारतीयसंस्कृतेः रक्षणं कर्तुम् इच्छामः तर्हि संस्कृत-हिन्दी-आदीनां भाषाः गौरवेण स्वीक्रियमाणाः भवेयुः ।

जयतु संस्कृत मातरम्!

Speech on Sanskrit diwas in english

         Namo Namah! Best wishes to all of you on Sanskrit Day! Sanskrit is the most prominent, most melodious and simplest language among all the languages ​​of the world. The history of Sanskrit language is very old. On the basis of facts and arguments, Sanskrit language is considered to be the most ancient language. It is the oldest language not only of India but of the entire world.

       Sanskrit is considered the language of God. It is the mother of many languages. Sanskrit is the basis of our Indian culture. Sanskrit is the most scientific language because it is read as it is written. Indian culture is from Sanskrit, values ​​are from Sanskrit only. Sanskrit language is the basis of Indian spirituality.

   But today we Indians have brought languages ​​like Sanskrit and Hindi to such a level that there is a need to propagate them. Even in the new education system, culture has been kept as an option whereas it is very important to make it mandatory. Today we have reduced Sanskrit language to just a language for reciting mantras. It is a matter of great shame that we Indians did not give importance to our ancient language Sanskrit.

    We Indians today feel proud in teaching languages ​​like English and French to our children and feel ashamed in speaking Hindi, Sanskrit. If we Indians do not respect our language then what can we expect from the world. If we want to protect our Indian culture, we will have to adopt languages ​​like Sanskrit and Hindi with pride.

Jaytu Sanskritmatram!
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