गांधी जयंती पर भाषण। Gandhi jayanti par bhashan। gandhi Jayanti speech in hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य जी सभी टीचर्स और मेरे साथियों! सर्वप्रथम आप सभी को गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं! आज मैं आप सभी के समक्ष गांधी जयंती के शुभ अवसर पर कुछ शब्द व्यक्त करना चाहती हूं।

“ऐनक धोती हाथ में लाठी,
पर हिंसा न उनको भाती!”

सत्य और अहिंसा के पुजारी हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के स्वामी थे। सभी भारतवासी उन्हे बड़े ही प्रेम से बापू कहकर बुलाते थे। बापू का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था।
उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। देश को आजादी दिलाने में उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसीलिए उनके जन्म दिवस को हम प्रत्येक वर्ष गांधी जयंती और अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं।

देश को आजादी दिलाने के लिए उन्होंने असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे कई अहिंसक आंदोलन किए। बहुत सी बार गांधी जी को जेल भी जाना पड़ा। किंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने आंदोलन एक के बाद एक जारी रखे। परिणामस्वरूप 15 अगस्त 1947 को आखिरकार अंग्रेजों को देश छोड़कर जाना ही पड़ा। बापू हमेशा सत्य और अहिंसा के पक्षधर थे। वह हमेशा शांतिपूर्वक ढंग से आंदोलन किया करते थे और अंग्रेजों पर भारत छोड़ने के लिए दबाव बनाया करते थे। अंग्रेजों के इतने अत्याचार झेलने के बावजूद भी गांधी जी ने हार नहीं मानी और अपने पथ पर डटे रहे। कड़े संघर्षों के बाद उन्होंने देश को आजाद करने में सफलता पाई थी। भारत की आजादी के एक वर्ष पश्चात ही नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर गांधी जी की हत्या कर दी गई और इस प्रकार से एक शांति दूत हम सबके बीच में से विदा हो गया।

महात्मा गांधी के रूप में हम भारतवासियों के सामने देश भक्ति बलिदान और सादगी भरे जीवन का एक सर्वोत्तम उदाहरण है। हम सभी भारतवासियों को गांधी जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके उत्तम विचारों को अपने जीवन में अवश्य शामिल करना चाहिए।अंत में दो पंक्तियों के साथ मैं महात्मा गांधी जी को श्रद्धांजलि देना चाहूंगी –

“अहिंसा की लाठी धाम आजादी की रखकर मांग,
बापू तूने अंग्रेजों की जड़े यूं हिलाई थी।
वक्त था बाद गंभीर ना पकड़ी तूने शमशीर,
सत्य अहिंसा के दम पर आजादी तूने दिलाई थी।”

धन्यवाद!

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