नमस्कार दोस्तों! जैसा कि आप सभी जानते ही हैं आज हमारा भारत देश आतंकवाद के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रहा है। देश में होने वाली सभी आतंकवादी गतिविधियों का देश बड़े ही बहादुरी के साथ सामना कर रहा है और मुंह तोड़ जवाब भी दे रहा है। आज हम “आतंकवाद एक समस्या और समाधान” टॉपिक पर निबंध तैयार करेंगे इस निबंध को हम हेडिंग, स्लोगन और कोटेशन्स के साथ तैयार करेंगे जिससे कि हमारा निबंध पढ़ने वाले को अच्छे से प्रभावित कर सके। आइए, निबंध लिखना शुरू करते हैं-
“आतंकवाद पर निबंध हिंदी में”
प्रस्तावना –
आतंकवाद मानवता के लिए एक बड़ा खतरा है। आतंकवाद का ना कोई धर्म है ना ही कोई राष्ट्रीयता। आज के समय में आतंकवाद भारत के साथ-साथ लगभग हर एक देश में सक्रिय है। विश्व के सभी देश आतंकवाद से किसी ने किसी रूप में परेशान हैं।
आतंकवाद का अर्थ –
आतंकवाद हिंसा रूपी वह गतिविधि है, जो किसी भी देश की सरकार और वहां के निर्दोष लोगों को डराने, धमकाने और किसी न किसी प्रकार से नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से की जाती है। आतंकवाद धार्मिक, राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्यों हेतु किया जाता है। आतंकवाद में हिंसा के द्वारा आतंक पैदा किया जाता है। आतंकवादी अपने उद्देश्यों को पूरा करने हेतु गुप्त तरीके से कार्य करते हैं।
आतंकवाद के कारण –
समाज और देश में आतंक फैलाने के पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं। इनमें से अधिकतर कारण राजनीति और धर्म से ही संबंधित होते हैं। अन्य कारणों में सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारण देखे गए हैं। कारण चाहे कोई भी हो, आतंकवादियों का उद्देश्य समाज में आतंक और भय की स्थिति को उत्पन्न करना होता है।
राजनीतिक कारण –
राजनीतिक कारणों में प्रशासन की विफलता, देश में राजनीतिक प्रणाली से असंतुष्टि, अराजकता या फिर वैचारिक संघर्ष देखे गए हैं।
सामाजिक कारण –
सामाजिक कारणों में ऊंच-नीच की भावना, जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव और असमानता तथा अशिक्षा इत्यादि आते हैं।
आर्थिक कारण –
किसी भी देश अथवा प्रदेश में जब वहां की जनता के पास आर्थिक अवसरों की कमी होगी, उनको अपनी आजीविका अर्जित करने में जितनी कठिनाई होगी, उतना ही वहां आतंकवाद को बढ़ावा मिलने का खतरा बना रहेगा।
धार्मिक कारण –
आतंकवाद को बढ़ावा मिलने के पीछे एक बड़ा कारण धार्मिक कारण माना जाता है।
आतंकवाद के दुष्परिणाम –
आतंकवाद समाज के लिए एक शाप की भांति होता है। यह देश की जड़ों को काटने का प्रयास करता है। जहां एक तरफ यह देश के नागरिकों में डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ाता है वहीं दूसरी ओर यह सरकारी तथा निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाता है। आतंकवाद की चपेट में आकर अक्सर लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है। इतिहास गवाह है जब-जब भारत देश पर आतंकवादी हमले हुए हैं तो असंख्य निर्दोष लोगों ने अपनी जान गवाई है। इन हमलों के दौरान अक्सर हमारे देश के वीर जवान देश को बचाने हेतु अपनी शहादत देते आएं हैं। आतंकवादी हमलों के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता बड़े स्तर पर देखने को मिलती है। यह देश को आर्थिक और सामाजिक दोनों ही रूप से भारी नुकसान पहुंचाता है। आतंकवाद देश के मध्य तनाव की स्थिति को पैदा कर अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी प्रभाव डालता है।
आतंकवाद की समस्या का समाधान –
भारत देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि “मुझे दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद किसी भी आकार या रूप में मानवता के खिलाफ है। आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए।” अतः भारत देश आतंकवाद पर हमेशा से ही “जीरो टॉलरेंस” की नीति को अपनाता आया है। भारत सरकार हमेशा से ही आतंकवादी गतिविधियों को बड़ी ही गंभीरता के साथ लेती आई है। देश की संसद में पारित आतंकवादी विरोधी विधेयक के अंतर्गत आतंकवाद गतिविधियों में लिप्त पाया जाने पर व्यक्ति को कठोर से कठोर दंड देने का प्रावधान है। भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के अनुसार “युद्ध को युद्ध से ही समाप्त किया जा सकता है और बंदूक से छुटकारा पाने के लिए बंदूक उठाना आवश्यक है।” अतः भारत आतंकवाद के खिलाफ हमेशा से ही कठोर से कठोर रवैया अपनाता है।
निष्कर्ष –
आतंकवाद वह दीमक है, जिसका खातमा अगर जड़ से ना किया जाए तो यह बार-बार नुकसान पहुंचाने हेतु उपस्थित हो जाता है। अतः आतंकवाद के खिलाफ संपूर्ण देश को एकजुट होने की आवश्यकता है। जब सभी देशवासी एक साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार का साथ देंगे तभी आतंकवाद को हम जड़ से उखाड़ सकते हैं। अतः हम सभी भारतवासियों को एक नैतिक कर्तव्य समझकर आतंकवाद के विरुद्ध मिलकर आवाज उठानी चाहिए।
“आओ मिलकर आवाज़ उठाएं,
आतंकवाद को जड़ से मिटाएं।”
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