चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाओं का प्रलोभन लोकतंत्र के लिए खतरा है हिंदी निबंध

नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम “Chunav mein rajnitik dalon dwara muft suvidhaon ka pralobhan loktantra ke liye khatra hai” विश्व पर हिंदी निबंध लिखना सीखेंगे।

“एक मजबूत लोकतंत्र का करें हम निर्माण,
मुफ्त सुविधाओं का प्रलोभन ना करें स्वीकार।”

प्रस्तावना –
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि किसी न किसी राजनीतिक दल का हिस्सा होते हैं, जो चुनाव में भाग लेकर बहुमत के द्वारा चुने जाते हैं। इसे हम लोकतांत्रिक राजनीति भी कह सकते हैं। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक स्वस्थ लोकतांत्रिक राजनीति का होना अत्यंत आवश्यक है।

लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता क्यों? –
लोकतंत्र में राजनीतिक दल एक अहम भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक दल लोकतंत्र में जन कल्याण की जिम्मेदारी उठाते हैं और उन्हें प्रभावी ढंग से निभाते भी हैं। हालांकि आधुनिक समय में ऐसे राजनीतिक दल बहुत ही काम देखने को मिलते हैं। आधुनिक राजनीतिक दल जनहित की बजाय स्वहित में ही कार्य करते हुए दिखाई देते हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों से जनता का भरोसा उठ गया है। किंतु वर्तमान में लोकतंत्र के दायरे को देखते हुए बिना राजनीतिक दलों के लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली की कल्पना करना संभव नहीं है। राजनीतिक दल लोकतंत्र प्रणाली के व्यवहार के प्रमुख आधार होते हैं।

राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाओं का प्रलोभन, लोकतंत्र के लिए खतरा –
चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाओं का प्रलोभन देकर मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्रों में तरह-तरह के मुक्त सुविधाओं के प्रलोभन छपवाते हैं, जिससे अधिक से अधिक मतदाताओं को आकर्षित करके उनके मत को हासिल किया जा सके। राजनीतिक दलों के इस प्रकार के प्रलोभन देने की प्रवृत्ति से लोकतंत्र को गहरा नुकसान पहुंचता है।
“लोकतंत्र पर मंडराएं खतरे के बादल,
जब जनता को भाए मुफ्त सुविधाओं का प्रलोभन।”

वर्तमान में अक्सर यह देखा जा सकता है कि मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, बसों में मुफ्त किराया तथा हर महीने खातों में मुफ्त की धनराशि जैसे कईं प्रलोभन मतदाताओं को दे देकर वोट हासिल किए जा रहे हैं। बेशक कोई भी राजनीतिक दल अपने राज्य के जनकल्याण हेतु अपने हिसाब से उचित निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, किंतु सत्ता हासिल करने के लिए एक के बाद एक मुफ्त सुविधाएं मतदाताओं को देना आखिर कितना नैतिक है? आज के जमाने में आखिर किसको इस प्रकार की मुफ्त सुविधाएं नहीं चाहिए..? मुफ्त सुविधाओं के लालच के कारण जनता चुनाव में उसी राजनीतिक दल को सत्ता में लाएगी जो उसे अधिक मुफ्त सुविधाएं देगा। ऐसे में निष्पक्ष चुनाव भला किस प्रकार से संभव हो पाएगा?
राजनीतिक दलों की जनता को प्रलोभित करके वोट हासिल करने की इस प्रवृत्ति से उच्चतम न्यायालय भी अपनी असहमति प्रदर्शित करता है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार इस प्रकार के प्रलोभन वाले घोषणा पत्र लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर देते हैं। परिणाम स्वरुप स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं हो पाते। मुफ्त प्रलोभन के लालच में आकर जनता कईं बार गलत प्रत्याशी को चुन लेती है। जोकि लोकतंत्र के लिए खतरा बन जाता है।

राजनीतिक दलों का कर्तव्य –
राजनीतिक दल लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली का एक अहम हिस्सा होते हैं। सभी राजनीतिक दलों को लोकतंत्र में अपनी भूमिका ईमानदारी के साथ निभानी चाहिए। राजनीतिक दलों को चाहिए कि दुनिया के सामने भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को एक आदर्श के रूप में स्थापित करें। तमाम विफलताओं के बावजूद भी राजनीतिक दलों को देश के प्रति और देश की जनता के प्रति अपने कर्तव्य को याद रखना चाहिए। राजनीतिक दल जन सेवा हेतु ही राजनीति में उतरते हैं। अतः उन्हें बिना किसी प्रलोभन से सत्य और कर्तव्यनिष्ठा की राह पर चलते हुए ही जन सेवा करनी चाहिए और बिना कोई मुफ्त सुविधाओं का प्रलोभन दिए सत्यनिष्ठा के साथ लोकतंत्र के मान को बनाए रखना चाहिए।

निष्कर्ष –
आज राजनीति में आने वाले लगभग सभी राजनीतिक दल जनता की उम्मीदों पर खरे उतरने में असमर्थ हैं। लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि जनता किसी भी राजनीतिक दल पर भरोसा ही ना कर पाएं। जनता को अपने मत का निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से प्रयोग कर एक योग्य उम्मीदवार को जनसेवा का मौका अवश्य देना चाहिए और चुने हुए उम्मीदवार को प्रेरित करते रहना चाहिए कि किस प्रकार वह और अधिक बेहतर ढंग से कार्य कर सके। परिणाम स्वरुप वह राजनीतिक दल यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से प्रबंधित और नियंत्रित रूप से अवश्य कार्य करेगा। एक स्वस्थ लोकतांत्रिक राजनीति ही एक स्वस्थ लोकतंत्र का निर्माण कर देश को विकास के मार्ग पर आगे बढ़ा सकती है।

“स्वस्थ लोकतंत्र का स्वप्न हो साकार,
स्वस्थ राजनीति का हो आधार।”

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