“उसके आकाश की ना सीमा कोई,
भरी उसने स्वप्नों की उड़ान।
दृढ़ निश्चय और समर्पण से
स्थापित किए कईं कीर्तिमान।”
परिचय –
सुनीता विलियम्स एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और भूतपूर्व अमेरिकी नौसेना अधिकारी हैं। वह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के माध्यम से अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री हैं। अंतरिक्ष यात्री होने के साथ ही वह एक कुशल तैराक, एक मैराथन धावक और अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाली भी हैं।
जन्म एवं माता-पिता –
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 में ओहियो, अमेरिका में हुआ था। सुनीता विलियम्स के पिता का नाम डॉक्टर दीपक एन. पांड्या है, जो अमेरिका में एक डॉक्टर थे, जिनकी मृत्यु सन 2020 में हो गई थी। इनकी माता का नाम बॉनी पांड्या है। सुनीता विलियम्स का विवाह माइकल जे. विलियम्स से हुआ था। माइकल सुनीता के सहपाठी थे।
शिक्षा –
सुनीता विलियम्स ने अपना हाई स्कूल मैसाचुसेट्स से किया था। सन 1987 में इन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल साइंस में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद सुनीता विलियम्स ने सन 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एम.एस. की डिग्री प्राप्त की।
करियर –
सन 1998 के जून महीने में उनका चयन अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में हुआ। जून 1998 से नासा के साथ कार्य कर रही सुनीता विलियम्स ने अभी तक भिन्न-भिन्न 30 अंतरिक्ष यानों में 2770 उड़ाने भरी हैं। इसके साथ ही सुनीता विलियम्स अनेक प्रकार की संस्थाएं जैसे कि एक्सपेरिमेंट टेस्ट पायलेट्स, सोसायटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स और अमेरिकी हेलिकॉप्टर एसोसिएशन से भी जुड़ी हुई हैं।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में उपलब्धियां –
अंतरिक्ष के क्षेत्र में ढेरों उपलब्धियां सुनीता विलियम्स के नाम हैं। प्रथम बार सन 2001 के दिसंबर में STS – 108 नामक ज्ञान के द्वारा अंतरिक्ष में उन्होंने उड़ान भरी। इसके बाद 2006 में STS – 116 से उड़ान भरी। यह दोनों ही सफल अंतरिक्ष मिशन रहे। सुनीता विलियम्स ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 6 महीने से भी अधिक समय बिता कर अनेक प्रयोगों पर काम किया। इससे उन्हें और भी अधिक प्रसिद्धि मिली।
सन 2012 में अभियान 33 के तहत सुनीता ISS की कमान संभालने वाली प्रथम महिला थीं। अभी तक उन्होंने चार बार अंतरिक्ष में भ्रमण किया है। 29 घंटे से अधिक की अवधि तक अंतरिक्ष में भ्रमण करने का मुकाम उन्हें हासिल है। सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव निवास और ऐसी परिस्थितियों में मानव शरीर की अनुकूलता को समझने के लिए कई प्रयोग किए हैं। हाल ही में सुनीता विलियम्स अपने साथी बुच विल्मोर के साथ बोइंग और नासा के एक जॉइंट मिशन “क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन” से वापिस लौटी हैं। यह मिशन 8 दिन का था, जिसका उद्देश्य स्टार लाइनर स्पेसक्राफ्ट की क्षमता की जांच करना था, कि इस स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता कितनी है। इन आठ दिनों में एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष स्टेशन पर बहुत से प्रयोग भी करने थे। लेकिन स्पेसक्राफ्ट में आई दिक्कतों के कारण यह आठ दिवसीय मिशन 9 महीने से अधिक समय का हो गया। पूरे 9 महीने 14 दिनों के बाद सुनीता विलियम्स पृथ्वी पर लौटी और एक और ऐतिहासिक कीर्तिमान अपने नाम किया।
सम्मान एवं पुरस्कार –
सन 2008 में भारतीय सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में सुनीता विलियम्स को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। साथ ही इन्हें नेवी कमेंडेशन मेडल्स, नेवी एंड मरीन कॉर्प अचीवमेंट मेडल, ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल जैसे अनेक सम्मानों से सुशोभित किया जा चुका है।
उपसंहार –
साधारण व्यक्तित्व की स्वामिनी होकर भी सुनीता विलियम्स ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ आत्मविश्वास के बल पर एक असाधारण पहचान स्थापित की है। सुनीता विलियम्स एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में समस्त नारी शक्ति के लिए एक रोल मॉडल के रूप में सामने आई हैं। वह युवा एवं महत्वाकांक्षी महिलाओं को एक नवीन ऊर्जा से भर देती हैं। अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके द्वारा स्थापित किए गए महान कीर्तिमान भावी पीढ़ी को अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर स्थापित करने के लिए प्रेरित करते हैं।