नमस्कार दोस्तों! सुभाष चंद्र बोस के नाम से आखिर कौन परिचित नहीं है। सुभाष चंद्र बोस हमारे देश के वीर स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक थे। सभी उन्हें नेताजी का कर बुलाते थे। स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अविस्मरणीय है। आज की पोस्ट में हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में भाषण देना सीखेंगे। इस भाषण को हम तारों के साथ तैयार करेंगे जिससे कि हमारा भाषण सुनने वाले को अच्छे से प्रभावित कर सके।
“सुभाष चंद्र बोस पर भाषण”
आदरणीय प्रधानाचार्य जी सभी शिक्षक गण और मेरे दोस्तों! आज मैं आप सभी के समक्ष नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में कुछ शब्द कहना चाहती हूं/ चाहता हूं।
“लड़ने आजादी की लड़ाई, आजाद हिंद फौज बनाई,
मां भारती का निडर सपूत,अंग्रेजों को क्या धूल चटाई।”
महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। वे हिंदू बंगाली परिवार से थे। नेताजी के पिता जानकी नाथ बहुत एवं माता प्रभावती थीं। नेताजी के पिता कटक शहर के प्रसिद्ध वकील थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में दिया गया योगदान अविस्मरणीय है। वे हर एक भारतवासी के लिए शौर्य एवं साहस का प्रतीक थे।
नेता जी ने सन 1919 में बीए ऑनर्स की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की थी। पूरे कलकत्ता विश्वविद्यालय में उनका दूसरा स्थान था। बीए करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए। सन 1920 में उन्होंने चौथा स्थान प्राप्त करते हुए आईसीएस की परीक्षा पास कर ली। किंतु अंग्रेजों के गुलामी कैसे करेंगे यह सोचकर उन्होंने 1921 में त्यागपत्र दे दिया। उनके इस फैसले पर पूरे परिवार को गर्व था। वे भारत वापस लौट आए और भारत लौटकर उन्होंने सर्वप्रथम महात्मा गांधी जी से मुलाकात की और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। इस बीच उन्हें अंग्रेजों का विरोध करने पर कई बार जेल भी जाना पड़ा। जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था तब उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध जापान की मदद से आजाद हिंद फौज का गठन किया।
नेताजी हिंदू धर्म से थे किंतु वे अन्य सभी धर्मों का भी बराबर सम्मान करते थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस विचारशील होने के साथ ही काम करने में भी विश्वास रखते थे। नेताजी हमेशा से ही चाहते थे कि भारत आधुनिक होने के साथ-साथ विश्व का सबसे अग्रणी देश बने। वह हमेशा से चाहते थे कि देश अपनी धार्मिक परंपराओं, सभ्यता संस्कृति और इतिहास से हमेशा जुड़ा रहे। जी जानते थे कि जड़ों से जुड़े बिना भारत देश का तरक्की कर पाना नामुमकिन है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बहुत सी गंभीर चुनौतियों का बड़े ही साहस के साथ सामना किया और देश को आजादी दिलाने में अपना पूर्ण योगदान दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने भारत देश से बहुत प्रेम करते थे और हमेशा से ही देश के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने को भी तत्पर थे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की मृत्यु कैसे हुई यह आज भी विवाद का विषय है। कहा जाता है कि अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हुई थी। नेताजी का परिवार आज भी 1945 में उनकी मृत्यु वाली बात से साफ साफ इंकार करता है। भारतीय सरकार द्वारा भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की मृत्यु से संबंधित कोई भी दस्तावेज अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
नेताजी हम सभी के लिए प्रेरणा के प्रतीक हैं। सन 2021 में नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके जन्म दिवस को भारतीय सरकार के द्वारा पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नेताजी की याद में एक स्मारक, सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया है। सितंबर 2022 को नई दिल्ली स्थित कर्तव्य पथ (राजपथ) पर नेताजी की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया।
नेताजी आज हमारे बीच ना होते हुए भी हमेशा हमारे बीच ही रहेंगे। हमें उनके जीवन से प्रेरित होकर देश के लिए समर्पित भाव से कार्य करना चाहिए। यही हमारी तरफ से उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
“शौर्य और साहस की अदभुत मिसाल थे,
हमारे प्रिय नेता जी सचमुच कमाल थे।”
इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को यहीं विराम देता हूं।
धन्यवाद! जय हिंद! जय भारत!
इस प्रकार से आप नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर नारों के साथ एक प्रभावशाली भाषण तैयार कर सकते हैं आशा है यह भाषण आपके लिए हेल्पफुल होगा अगर यह पोस्ट आपको पसंद आती है तो आप इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें। धन्यवाद!